वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Friday 27 May 2011

बिटिया रानी



                                                              बिटिया रानी 


मत कराइये फिर एहसास
किस सुख से मन वंचित हैक कसक;घनीभूत पीड़ा   
ह्रदय में मेरे संचित है |

यूँ तो भरा-पूरा है जीवन, संसार मेरा 
सपूतों की जननी, मस्तक गर्वित मेरा
पायल की रुनझुन,कुमकुम,कज़रे की धार 
हाथों पर मेहंदी , खूब करती उसका श्रृंगार.....

नैनों में
सपन सँजोए
बाट जोहे प्रसूता 
विधि आँख-मिचौनी खेले 
मन रह जाए बस रीता !

  कहीं गर्भ में दस्तक दे 
जब प्यारी बिटिया रानी 
भ्रूण-हत्या को बेबस,मूक
     जुल्म सहती, अबला नारी ?


ना ढांपो इस कुरूपता, इस कलुष को
आवाज़ दो अपने विवेक, संवेदना को
मत घोटो साँसे,जन्म से पहले बेटी की
वही बनेगी सुनीता विलियम्स, वही किरण बेदी !






  



6 comments:

  1. What a wonderful poem...!!!!was this published anywhere else??This msg. is really needed in the society where such things happen...so meaningful...!!!well done ...keep it up..!!!!

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  2. but sundar............ behad marmsparshi!!!

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  3. @ Rajlaxmi - This poem was composed on 26th May. Not published anywhere except this blog.
    Thank you so much for the compliment Laxmi :)

    @Shalini - Shukriya.

    @Jagdish - Thank you beta.

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  4. Jaya I wish you had written your comment under the poem you liked.

    Jaya Mehta 27 May at 19:20 Report
    mam the poem u wrote on daughters in ur blog,its beautiful.i dnt have words to describe it.keep up the gud work mam.tc

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  5. नैनों में सपन सँजोए
    बाट जोहे प्रसूता
    विधि आँख-मिचौनी खेले
    मन रह जाए बस रीता !

    ..... मन द्रवित करती हुई, स्त्री ही स्त्री
    की पीड़ा को समझती, समझाती हुई...सोद्देश्य सुंदर अभिव्यक्ति के लियें आभार ...

    सस्नेह
    गीता पंडित

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