वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Sunday 26 February 2012

नहीं होती अपनी बात !



अलस सुबह
चाय की प्याली
और उसका साथ
ऐसी होती
तुम्हारी प्रभात
नहीं होती अपनी बात !

इंतज़ार में कटती
सुबह सारी
दोपहर तुम्हें
झपकी प्यारी
मैं ताकूँ
सूरत तुम्हारी
यूँ लेता समय काट
नहीं होती अपनी बात !

शाम की चाय
चंद लमहे साथ बिताएँ
शुरू होती बात
बजती कॉलबेल
आई तुम्हारी बाई
निर्देशों की झड़ी लगाई
टी.वी. रिमोट मेरे हाथ
नहीं होती अपनी बात !

अब खुलता घर में स्कूल
प्रश्‍नपत्र, उत्‍तरपुस्तिका
खूब करवाएँ मुझे प्रतीक्षा
लिए आँखॊं में कौतूहल
कब समेटोगी स्कूल
सामने पोथी-किताब
नहीं होती अपनी बात !

फिर ये नासपीटी फ़ेसबुक
तुम्हें मुझसे छीन लेती
बड़ी उमंग से तुम
माऊस हाथ पकड़ लेती
बहुतों को लाईक करने लगी हो
खूब वाह-वाह करने लगी हो
बस दो मिनट !
बच्चों की तरह
मुझे बहलाने लगी हो
जोहता रहता मैं बाट
नहीं होती अपनी बात !
-सुशीला श्योराण

11 comments:

  1. अरे निकालिए वक्त बात का....
    कोई नाराज़ ना हो जाएँ...
    सुन्दर अभिव्यक्ति..

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    1. धन्यवाद विद्‍या जी। संयम की कोशिश ज़ारी है मगर ये फ़ेसबुक का चुंबकीय आकर्षण.....खींच ही तो लेता है अपनी ओर :)

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  2. ये आपने लिखा ... विचार तो पति के हैं :)

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    1. विचार और शिकायत (जो कि जायज़ है)पति के हैं बस उनकी शिकायत को मैंने अल्फ़ाज़ दे दिये हैं।

      सादर

      :-)

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    2. सुसीला जी,पति की शिकायत जायज है नारजगी कहीं ज्यादा न बढ़ जाय,....
      अति उत्तम,सराहनीय प्रस्तुति,

      NEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...

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  3. yadi aap mere dwara sampadit kavy sangrah mein shamil hona chahte hain to sampark karen
    rasprabha@gmail.com

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    1. जवाब भेज दिया है gmail पर देखें ज़रा।

      सादर

      सुशीला

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  4. :) बहुत खूब कही!

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  5. सार्थक प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, सादर.

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  6. अंकल जी की जायज शिकायत को बेहतरीन शब्द दिये हैं।

    सादर

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  7. bahut khoobsurat ma'am . Agar itni ache shabdon mai shikayat batai gayi hai toh phir yeh shikayat baar baar ho.... :D


    keep writing lovely blogs Ma'am
    love JSM

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