वीथी

हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं।अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है| वीथी में आपका स्वागत है |

Wednesday 26 September 2012

इश्‍क



इश्‍क
हिना है
पिसती है
सजती है
महकती है
चढ़े बला का शोख रंग
खिल उठे अंग-अंग
गुज़रते वक्‍त के साथ
हो जाए 
रंग फ़ीका 
रह जाएँ सूनी हथेली
और कुछ भद्‍दे से चकत्‍ते 
एक सूना तड़पता दिल
टीसता रहे ज़ख्‍मों से
खूबसूरत चेहरों ने जो
भद्‍दी यादों के दिए....

- सुशीला श्योराण

चित्र : साभार गूगल



Saturday 22 September 2012

तुम हो !



तुम हो !
______

तुम नहीं हो
जानता है दिल
मानता नहीं
क्योंकि
तुम्हारा प्रेम
आज भी सींचता है
मन की प्यास को
जब भी अकेली होती हूँफट पड़ता है यादों का बादलडूबने लगती हूँ मैं
नीचे और नीचेयकायक तुम
आ बैठते हो पास
थाम लेते हो 
मज़बूत बाँहों सेदीप्‍त हो उठता है
तुम्हारा चेहरा
प्रेम की लौ से
मेरी प्रीत
उस लौ में जलकर
हो जाती है फ़ीनिक्स !

कौन कहता है
दुनिया से जाने वाले
नहीं लौटते
ज़रूर लौटते हैं
ज़िस्मों के पार
गर रिश्‍ते रूहानी हों
रूहानी हो पीर !
-
सुशीला

चित्र : साभार गूगल

Saturday 15 September 2012

क्या होली क्या ईद !



हर लमहा काबिज वो खयालों पर 
अब भाए न कुछक्या होली क्या ईद ! 

अंधेरों से निकल रोशनी में आ जाओ

तकते राह उजालेक्या होली क्या ईद !

आज भी दिल है उसकी मुहब्बत का मुरीद

सनम की बेवफ़ाईक्या होली क्या ईद !

हम उसे चाहें हमारी नादानियाँ हैं

वो देखें न मुड़ केक्या होली क्या ईद !

जला दिलेनादां बहुत इश्‍क हुआ धुँआ-धुँआ

लगाए हैं राख दिल सेक्या होली क्या ईद !


-सुशीला श्योराण

चित्र : साभार गूगल

Sunday 2 September 2012

चंद शेर



पेश हैं चंद शेर -



कभी लब हँस दिए कभी आँखों ने चुगली कर दी
कुछ इस तरह से इश्क की बात सरे आम कर दी

मत पूछ निगोड़ी आँखों ने क्या काम किया है
दिल ने चाहा संभलनाइन्होंने दग़ा किया है !


तू नहीं तो तेरी यादों ने घेरा है मुझे
कब, कहाँ तन्हा तूने छोड़ा है मुझे !

तुम से दूर हुए तो आज जाना हमने
ज़िस्म बाकी रहा खो दी धड़कन हमने

माफ़ करो ख़ता, गिले-शिकवे भुला के आओ
आओ फिर से बरखा की तरह झूम के आओ
                         

                                        -सुशीला शिवराण